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दो दोस्त की कहानी

Mauka दो दोस्त की कहानी – Do Dost Ki Kahani Short Motivational Story In Hindi For Success In Life For Students Do Dost Ki Kahani

एक शहर में दो दोस्त रहते थे एक दिन वो दोनों दोस्त समुद्र के किनारे शंख इकट्ठा करने के लिए गए ताकि उन संख्या को बेचकर वो अपने लिए कुछ पूंजी जमा कर पाए।

दोनों दोस्त शंख इकठ्ठा कर ही रहे थे तभी पहले वाले दोस्त को एक बड़ा शंख दिख गया और ये देखकर दूसरे वाले दोस्त के मन में आया की यार इसे तो बड़ा शंख मिल गया अब ये मुझसे ज्यादा पैसा कमा लेगा।

तो फिर उसने सोचा की अब मैं भी इससे बड़ा शंख ही ढूढूंगा ताकि मैं भी ज्यादा पैसा कमा पाऊ तो अब वह लग गया बड़े शंख की तलाश में उसने खूब ढूंढा खूब मेहनत की लेकिन फिर भी उसे बड़ा शंख हासिल नहीं हुआ और उस बड़े शंख के चक्कर में उसे जितने भी छोटे छोटे शंख मिलते उन सारे शंखो को उठाकर फेंक देता क्योकि उसके दिमाग में वो बड़ा शंख था की मुझे किसी भी हालत में वो बड़ा शंख चाहिए ताकि मैं थोड़े ज्यादा पैसे कमा पाऊ।

उस बड़े शंख के तलाश में दोपहर से शाम हो गयी शाम से रात हो गयी तो ना तो उसे बड़ा शंख मिला और बल्कि जो छोटे-छोटे शंख उसे मिले थे उन संख्या को भी उसने फेक दिए तो उसके हाथ में कुछ नहीं आया और जो पहला वाला दोस्त था उसके पास एक बड़ा शंख था और कुछ छोटे शंख थे।

तो रात हो गयी और वो दोनों दोस्त घर जाने लगे तो घर जाते वक्त पहला वाला जो दोस्त था उसने अपने शंख बेच दिए तो उसके पास जो बड़ा शंख था उसके उसे मिले 1000 रूपये और जो छोटे छोटे शंख जो उसके पास थे उसके उसे मिले 3000 हजार रूपये और ये जानकर उस दूसरे वाले दोस्त को बहुत दुःख हुआ की काश वह उन छोटे छोटे शंख को फेंकता नहीं तो अभी मेरे पास इससे भी ज्यादा कमाई होती।

उसके दोस्तों ने उसे बताया की जो छोटे छोटे शंख तूने फेंक दिए थे ना उन्ही को मैंने अपने पास कलेक्ट कर लिया और उन्ही की वजह से मुझे मिले 3000 रूपये और ये जानकर वो दूसरा वाला दोस्त और भी ज्यादा निराश हो जाता है।

इस कहानी को बताने का मेरा मकसद बिलकुल साफ़ है की हम कुछ बड़ी बड़ी चीज़े करने के चक्कर में हम कई सारे छोटे-छोटे मौके हाथ से गवा देते है।

हम हमरी Day To Day लाइफ में भी कई सारे छोटी छोटी चीज़ो को इग्नोर कर देते है लेकिन ये बात आपको जान लेनी चाहिए की ये छोटी छोटी चीज़े आगे जाकर बहुत विशाल रूप धारण कर लेती है हर छोटी चीज़ पर ध्यान लगाओ उसे इग्नोर मत करो आगे जाकर आपको इसकी अहमियत पता चलेगी।

मैं ये भी नहीं कह रहा हूँ की आप छोटा सोचो और छोटा ही करो मेरे कहने का मतलब ये है की आप सोचो बड़ा लेकिन उसके लिए आप हर वो छोटा काम करो जिससे की आपका लक्ष्य आपको हासिल हो।

दोनों दोस्तों का लक्ष्य एक ही था वो था पैसा, लेकिन पहले वाले दोस्त ने ही बड़े पर भी फोकस किया और छोटे पर भी फोकस किया और दूसरा दोस्त सिर्फ बड़े पर ही फोकस किया छोटी छोटी चीज़ो को इग्नोर कर दिया और जहा उसे ज्यादे पैसे मिलने चाहिए थे वह उसे एक रुपया भी नहीं मिला।

अंत में सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा की छोटे-छोटे बदलाव ही बड़े कामयाबी का हिस्सा होता है।

Story Video

https://www.youtube.com/watch?v=tMEby5X1MIc